August 14, 2020

August 12, 2020

It's 2010 all over again


कभी  कभी  मेरे  दिल  मैं  ख्याल  आता  हैं 
की  ज़िन्दगी  तेरी  जुल्फों  की  नर्म  छाओं  मैं  गुजरने  पति 
तो  शादाब  हो  भी  सकती  थी 


यह  रंज-ओ-ग़म  की  सियाही  जो  दिल  पे  छाई  हैं 
तेरी  नज़र  की  शुओं  मैं  खो  भी  सकती  थी 
मगर  यह  हो  न  सका  और  अब  ये  आलम  हैं 
की  तू  नहीं, तेरा  ग़म  तेरी  जुस्तजू  भी  नहीं 
गुज़र  रही  हैं  कुछ  इस  तरह  ज़िन्दगी  जैसे,
इससे  किसी  के  सहारे  की  आरज़ू  भी  नहीं


न  कोई  राह, न  मंजिल, न  रौशनी  का  सुराग 
भटक  रहीं  है  अंधेरों  मैं  ज़िन्दगी  मेरी 
इन्ही  अंधेरों  मैं  रह  जाऊँगा  कभी  खो  कर 
मैं  जनता  हूँ  मेरी  हम-नफास, मगर  यूंही 
कभी  कभी  मेरे  दिल  मैं  ख्याल  आता  हैं

August 9, 2020

Trip to Cap Saint Jacques

Went on a day trip with friends.
Great views, good times.
Also a reminder that I am getting old. And my values dont match with most others. And it has nothing to do with the age difference. 

August 4, 2020

All good things

I was racially profiled and almost assaulted by a drunk man on the metro. It didn't bother me too much coz I was in a bad state anyway. So many thoughts ...thousands on people in Lebabon were left bloodies after an explosives depot blew up. Then theres the bhumi pujan in Indian that marks a new era in Islamophobic India. Then there's Covid.  

It's not a great time to be alive for any human. For someone from the minority tho...its hitting harder.